अडानी ग्रुप (Adani Group) को कई लाख शेयरों को गिरवी रखना पड़ा है। समूह को यह कदम अपने शेयरों की कीमत में आई तेज गिरावट के बाद उठाना पड़ा है। दरअसल अडानी ग्रुप ने बैंकों के एक समूह से 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया हुआ है। इसके कर्ज के बदले में उसने अपने शेयरों का गिरवी रखा है। जब शेयरों का भाव गिरता है, तो उसे बतौर गिरवी रखे अपने शेयरों की संख्या बढ़ानी पड़ती है, ताकि जिससे गिरवी रखे शेयरों की वैल्यू बराबर रहे। पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने गिरवी रखे शेयरों में शुक्रवार 27 जनवरी को करीब 2,450 करोड़ रुपये (30 करोड़ डॉलर) रुपये की कीमत के और शेयर जोड़े हैं।
अडानी ग्रुप ने बैंकों के जिस समूह ये 1 अरब डॉलर का कर्ज लिया है, उसमें बार्कले (Barclays) भी शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप ने ऐसी स्थिति के लिए अपने करीब 2.5 अरब डॉलर के शेयरों को पहले से ही अलग रखा हुआ है। जिससे कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति में तुरंत इन शेयरों को शामिल कोलैटेरल वैल्यू को बरकरार रखा जा सके।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अडानी ग्रुप ने इस लोन के करीब ढाई गुना वैल्यू के शेयर गिरवी रखे हैं। लोन की शर्तों के मुताबिक, जब भी इन शेयरों की वैल्यू गिरकर 2 गुना के नीचे आएगी, तब समूह को अतिरिक्त शेयरों को गिरवी रख इसकी वैल्यू 2 गुना के ऊपर ले जानी होगी। खबर लिखे जाने तक बार्कले और अडानी समूह की ओर से इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं आई थी।
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बता दें कि अडानी ग्रुप के शेयर पिछले हफ्ते एक अमेरिकी शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद से दबाव में हैं। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर अपने शेयरों की कीमत में हेरफेर करने का आरोप लगाया है। ग्रुप ने इसके बाद रविवार को 413 पन्नों की एक रिपोर्ट जारीर करके हिंडनबर्ग के दावों को सिरे से खारिज किया।
अडानी ग्रुप की ओर से गिरवी रखे शेयरों की संख्या बढ़ाना बताता है कि उसे अपनी विभिन्न कंपनियों के शेयरों की कीमत में स्थिरता की जरूरत है। अगर अडानी ग्रुप के शेयरों में आगे भी गिरावट जारी रही, तो उसे गिरवी रखने के लिए और अधिक शेयरों की जरूरत पड़ती रहेगी, जो एक जोखिम हो सकता है।